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Wednesday, February 20, 2008

रहीम के दोहे: बुरे दिनों में चुप रहना बेहतर

अब रहीम चुप करि रहउ समुझि दिननकर फेर
जब दिन नीके आई हैं बनत न लगि हैं देर


कविवर रहीम कहते हैं की बुरे दिनों के चक्र को समझकर अब मैं मौन धारण करके रहूँगा. जब जीवन में अच्छे दिन आएँगे तो कार्य बनते देर नहीं लगेगी।

अब रहीम मुश्किल पडी, गाढ़ै दोउ काम
सांचे से तो जग नहीं, झूठे मिलैं न राम



कविवर रहीम कहते हैं कि अब तो जीवन में ऐसी कठिनाई आ गयी है कि सब तरह के कार्य मुश्किल हो गए हैं. सत्य बोलने से संसार में चलना कठिन है तो तो झूठ बोलने से भगवान् का मिलना संभव नहीं है.

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