दादाजी पहुंचे भविष्यवक्ता के पास
और बोले
''महाराज मेरा बेटा तो एक
क्लर्क बनकर रह गया
उसका दर्द किसी तरह सह गया
मेरे खानदान का नाम आकाश में चमकेगा
ऐसा कोई चिराग मेरे घर आएगा
इन्तजार करते हुए बरसों बीत गए
आप देखो इस बालक को क्या
अपनी जिन्दगी में यह तरक्की कर पायेगा"
उसका हाथ देख भविष्वक्ता ने कहा
"नहीं, यह ऐसा कुछ नहीं कर पायेगा"
यह सुन दादाजी का हो गया मूंह उदास
भविष्य वक्ता आये उसके कुछ और पास
बोले-
'पर विचलित क्यों होते हो
फिर भी तुम्हारा काम पूरा कर पायेगा
ज़माने भर को देगा आश्वासन
जो कभी पूरी नहीं करेगा
अनेक करेगा घोषणाएं
पर उस पर कभी अमल नहीं करेगा
चिंता मत करो
बस किसी भी तरह अपना घर भरेगा
नित करेगा नए स्वांग
सभी जादूगर करेंगे इसके हुनर की मांग
बहुत दूर तक पैदल चलता दिखेगा पर
कार से बाहर नहीं निकालेगा टांग
अपनी मोहनी विधा से सबका दिल जीत लेगा
नित नए नए नारे लगायेगा
अनेक वाद चलाएगा
ऐसे भ्रम जाल रचेगा
लोग भुला देंगे पुराने सपनों को
इसके नए दिखाए से हर कोई प्रीत करेगा
जादूगरों में महापुरुष और
महापुरुषों में जादूगर कहलायेगा
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दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका पर लिख गया यह पाठ मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसके कहीं अन्य प्रकाश की अनुमति नहीं है।
कवि एंव संपादक-दीपक भारतदीप
2 comments:
achchi kavita hai
सुंदर
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