समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Monday, December 8, 2008

हर नशा बना देता है बेहया-व्यंग्य शायरी

सुबह का भूला शाम को
घर वापस आ जाता है
पर रात को जो भटका
वह सुबह तक वापस
नहीं आये तो घर में
तूफ़ान मच जाता है
घर में भूख का डेरा
शराब से नशे में चूर
आदमी की आंखों में
मदहोशी का अँधेरा
किसी गटर में गिरकर
या किसी वाहन से कुचलकर
जीवन की जो दे जाता है आहुति
उस पर भला कौन तरस खाता है
शराब मत पियो यारो शराब
उसका नशा तुम्हारी जिन्दगी को
खुद ही पी जाता है
-----------------------

शराब का नशा आख़िर
दिमाग से उतर जाता है
पर दौलत, शौहरत और सोहबत का नशा
सिर चढ़कर बोले
आदमी को बेहया बना देता है
ज्ञान के अंधे से बुरा है
किसी का अज्ञान में मदांध होना
जो आदमी को शैतान बना देता है
जो निर्धन हैं और
पूंजी जोडे हैं विनम्रता की
उनसे दोस्ती भली
अपनी अमीरी, पहुंच और सोहबत के
नशे में चूर अहंकारी से दूरी भली
पीठ में छुरा घौपने में
उनमें तनिक भय नहीं आता है

-------------------------------
दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका पर लिख गया यह पाठ मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसके कहीं अन्य प्रकाश की अनुमति नहीं है।
कवि एंव संपादक-दीपक भारतदीप

अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.अनंत शब्दयोग
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
4.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान पत्रिका
लेखक संपादक-दीपक भारतदीप

No comments:

यह रचनाएँ जरूर पढ़ें

Related Posts with Thumbnails

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

यह रचनाएँ जरूर पढ़ें

Related Posts with Thumbnails

विशिष्ट पत्रिकाएँ