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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Monday, January 7, 2008

रहीम के दोहे:संपति के पास विपत्ति ही ले जाती है

कोउ रहीम जनि कहू के, द्वार गए पछिताय
संपति के सब जात हैं, विपति सबै ले जाय


कविवर रहीम कहते हैं कि विपत्ति अपने पर सभी को किसी से मदद मांगनी पड़ती हैं और इसमें शर्माने या पछताने से कोई लाभ नहीं है क्योंकि जिसके पास संपति है उनके पास विपति लोगों को ले ही जाती है।

खर्च बढ्यो, उद्यम घट्यो, नृपति निठुर मन कीन
कहू रहीम कैसे जिए, थोरे जल की मीन


कविवर रहीम कहते हैं कि व्यय अधिक हो गया, प्रयास भी घाट गया और स्वामी निष्ठुर हो गया तो कैसे काम चलेगा। कम जल में मछली कैसा जिंदा रह सकती हैं।

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