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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Tuesday, January 8, 2008

संत कबीर वाणी:जहाँ अंहकार वहाँ विकार

मोह फंद सब फंदिया, कोय न सकै निवार
कोई साधू जन पारखी, बिरला तत्व बिचार

संत शिरोमणि कबीर दास जे कहते हैं कि सारे संसार के लोग मोह के फंदे में फंसे हुए हैं और कोई भी इस फंदे को काटने में समर्थ नहीं है। कोई पारखी साधू ही विरला होता है जो इस तत्व पर विचार करके इस फंदे से मुक्त हो जाता है।

जहाँ आपा तहं आपदा, जहाँ संसै तहां सोग
कहैं कबीर कैसे मिटें, चारों दीरघ रोग


संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि जहाँ अहंकार हैं वहाँ अनेक प्रकार की विपत्तियाँ स्वत: आ जातीं हैं इसी प्रकार जहाँ संशय होता वहाँ शोक अवश्य उपस्थित हो जाता है। अत चारों रोग-अहं, आपत्तियां संशय और शोक-कैसे मिट सकते हैं।

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