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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Tuesday, November 15, 2016

जाली नोटों से पीछा छूटा तो मुद्रा में विश्वास से देश का आत्मविश्वस बढ़ेगा-हिन्दी लेख (Nation Confidence boost After trut in Currency raise if would remove Fake Not-HindiArticle)

                                  बैंक और एटीएम पर लाईनों में देश नहीं सिमटा है। हां, अगर दर्द दिखाने का प्रचार करना है तो यह दोनों अगले पचास दिल तक सही जगह रहेंगी।  शादियों की बात करें तो दुल्हनें भारत की हैं तो दूल्हे तथा उनके परिवार वाले भी यहीं के हैं। दूल्हे वाले चुपचाप दुल्हनवालों के यहां जाकर सादगी से शादी की बात कर लें।  नहीं तो दुल्हन वाले हम जैसे स्वतंत्र अर्थशास्त्री की बात भी सुने। शादी को लेकर नकदी के अभाव पर रोने से कोई लाभ नहीं है।  अभी दूल्हे वालों से बात कर लो कि लेनदेन सामान्य स्थिति पर कर लेंगे। अभी हो तो भी मत खर्च करो।  यह जो नोट बंद करने का जो निर्णय है यह मामूली नहीं होता।  इस कदम से अर्थव्यवस्था में भारी उलटपलट की संभावना होती है।  इसमें संभव है आज जो लड़का तथा उसका परिवार स्थापित दिख रहा है कल वह सड़क पर आ जाये और जो लड़खड़ाता दिख रहा है वह चमक जाये। सो पैसे के लेनदेन में पैसा हो या नहीं ‘देखो और प्रतीक्षा करो’ की नीति अपनाओ।  पैसे की कमी का रोना रोकर समाज से सहानुभूति बटोरने की बजाय अपनी अक्ल की आंखें खोलो। फिलहाल तो यही मानकर चलो कि लड़की ही बड़ा धन है। पैसे के मामले में पक्के रहो क्योंकि अपनी ही जायी उस लड़की के लिये वह भविष्य में काम आ सकता है। लड़के वाले शादी तोड़ने के लिये तत्पर हों तो पहल स्वयं ही कर लेना क्योंकि उनका स्थिर परिवार भी माया की आंधी में डांवाडोल हो सकता है।
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                      कालेधन पर सर्जीकल स्ट्राइक के बाद पहली बार आज हमने आखिर एटीएम से एक हजार रुपया निकाल ही लिया।  मोदी जी को चिंता नहीं करना चाहिये उनके स्थाई भक्त भी अब सामान्य स्थिति की तरफ बढ़ रहे हैं। मन में कोई तनाव न रखें बल्कि आक्रामक रहें वरना कालेधन वाले इधर उधर घूमकर दुष्प्रचार करते ही रहेंगे।  मौका मिले तो कालेधन के समंदर से एक दो बड़ा मगरमच्छ धर ही लें ताकि प्रचार माध्यमों का ध्यान उस तरफ चला जाये।
                         जे कौन अर्थशास्त्री हैं जो कह रहे हैं कि नोटबंदी से कालेधन पर रोक नहीं लगेगी। यह तो हम भी कह रहे हैं पर दरअसल इससे कालाधन सड़ जायेगा जिससे समाज में स्थिरता आयेगी।  वैसे हम सात दिनों में लगातार बैंक या एटीएम में जाने की बजाय लोगों  से संपर्क में आये हैं। लोग इस बात से दुःखी नहीं है कि उनके पास खर्च लायक पैसे कम हैं वह ज्यादा खुश इस पर हैं कि उनके अपनों का कालाधन सड़ गया जो मकड़ाते थे।  जे वाले कथित अर्थशास्त्री देश के बड़े पदों पर रहे हैं इन्हीं के कार्यकाल में भारतीय मुद्रा अपमानजनक स्थिति में आयी है।  ऐसे लोग चुप बैठे तो बहुत अच्छा लगे। बोलते हैें तो लगता है कि इनको इतने बड़े पदों पर लाया कौन?
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                 बैंकों और एटीएमों पर घूमने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि लाईन में लगे बहुत सारे लोग जरूरतमंद हैं पर सभी नहीं है। दूसरा अब एटीएम पर पैसे निकलना शुरु हो गये हैं। इसलिये मुद्रा की कमी का रोना अब कम होना चाहिये।  कालाधन वाले अब इन्हीं लाईनों में अपना खेल करने का प्रयास भी कर सकते हैं।  इतना ही नहीं जैसे ही कुछ लोगों को लगेगा कि जनता अब संतुष्ट हो रही है वह इन्हीं लाईनोें में घुसकर असंतोष भड़काने की कोशिश कर सकते हैं। राष्ट्रवादी भक्तों को यह बता दें कि आने वाले समय में प्रचार माध्यम भी अपना लक्ष्य बदल सकते हैं क्योंकि अभी तक मोदी समर्थक जरूरतमंदों की भीड़ थी इसलिये कोई कुछ नहीं कर सकता पर जैसे ही वह कम होगी विरोधी खेल दिखाने आ सकते हैं।
कोई बतायेगा कि दिल्ली में नोटबंदी के बाद प्रदूषण कम हुआ कि नहीं। अगर कम हुआ है तो.....इसे नोटबंदी का परिणाम माना जायेगा।
हरिओम! ओम तत् सत्।
आज सभी का दिन अच्छा निकले। सभी को नयी मुद्रा मिले। पुरानी और नकली से पीछा छूटे। 
मुंबईया में हफ्ता वसूली पर चलने वालों को यह खुशफहमी हो गयी है कि देश कि 125 करोड़ जनता उनकी गुलाम है जो उनके कहने से सड़कों पर आ जायेगी। कालेधन पर प्रहार से उनके हाथी जैसे गुर्गे चूहे बन गये हैं। उन्हें ही साथ रख पाओ यही बहुत है।
वह मूर्ख कह रहे हैं वह भेड़िया कह रहे हैं पर यह नहीं बताते कि राजपदों पर रहते हुए उन्होंने कौनसे तीर मार लिये थे?
                        नोटबंदी से ज्यादा कालाधन नहीं भी निकलेगा तो क्या जाली मुद्रा से छुटकारा तो मिलेगा।

Thursday, October 27, 2016

मधुमेह का मरीज जब चाय के कप से चीनी हटाने की मांग करे-हिन्दीव्यंग्य (Than Dibeties Peciant Demand remuve chini from Tea Cup-Hindi Satire)


                                         आज चीनी उत्पाद के बहिष्कार की मांग या घोषणा करने वाले लोगों का एक जुलूस देखा। जिस तरह भारत में प्रयोग किये जाने वाले मोबाइल, कंप्यूटर तथा अन्य उत्पादों में चीनी सामान की घुसपैठ है उससे देखकर तो यह एक मजाक लगता है। यह ऐसे ही जैसे कोई मधुमेह से ग्रसित आदमी सामने कप में रखी चाय पीने के लिये उसमें से चीनी अलग करने की मांग करे।
                  हमने देखा है कि अनेक विलासिता के सामान चीन से आयातित हैं। यहां तक कि योग दिवस पर जिस चटाई का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया गया था वह भी चीन मेें बना था।  ऐसा लगता है कि इन सामानों के प्रयोग का बहिष्कार का आह्वान करने की किसी में हिम्मत नहीं है इसलिये दिपावली के अवसर पर छोटे और मध्यम व्यापारियों पर दबाव बनाया जा रहा है ताकि कथित देशभक्ति का प्रचार हो सके।  हमारा दावा है कि जो यह जूलूस निकाल रहे हैं वह अगर चीनी सामान का बहिष्कार अपने घर से शुरु करें तब पता चले। एक मिनट मोबाईल और टीवी के बिना रहा नहीं जाता चले हैं छोटे दुकानदारों के छोटे सामान पर हमला करने। चीनी सामान का भारत उपभोग रोकना एक बृहद योजना से ही हो सकता है इस तरह जुलूस निकालने का सीधा मतलब यह है कि छोटे और मध्यम व्यवसायियों पर दबाव बनाया जाये ताकि ग्राहक बड़े बड़े मॉलों में चला जाये। हम जानते हैं वहां खड़ी निजी सुरक्षा फौज देखकर ही उनका दम निकल जायेगा।
                           पिछले कुछ वर्षों से दीपावली पर्व के सार्वजनिक रूप से व्यक्त उत्साह में कमी आयी है। इसका मुख्य कारण मध्यमवर्ग परिवारों सदस्य संख्या सीमित होने के साथ ही आर्थिक संकट भी है। टीवी पर बहसों में अनेक अर्थशास्त्री अनेक बातें कहते हैं पर यह कोई नहीं कहता कि मध्यम वर्ग पर दबाव अधिक है जिसकी वजहा से इस देश में सामाजिक संकट भी पैदा हुआ है। इस वजह से चीनी सामान की बिक्री वैसे ही कम होगी पर कथित संगठन दावा यह करेंगे कि उनके प्रयासों से ही यह हुआ है।

Wednesday, October 12, 2016

रामजन्मभूमि आंदोलन में जब ‘जयश्रीराम’ का नारा राजनीतिक पहचान बना था-हिन्दी संपादकीय (Than 'Jay Shri Ram' Sloger was a Imege for Politcical-Hindi Editorial)

                                     जब देश में रामजन्मभूमि आंदोलन चल रहा था तब ‘जयश्रीराम’ नारे का जिस तरह चुनावी राजनीतिकरण हुआ उसकी अनेक मिसालें हैं।  स्थिति यह थी कि कहीं अगर कहीं ‘जयश्रीराम’ का नारा मन में आ गया तो उसे जुबान पर लाने का विचार यह सोचकर छोड़ना पड़ता था कि कोई किसी राजनीति दल या सामाजिक संगठन  का न समझ ले। सही समय तो याद नहीं पर इसके राजनीतिककरण का अहसास हमें अपने ही कार्यालय में 25 से 28 वर्ष पूर्व अपने ही कार्यालय में हुआ था।  तब राजन्मभूमिआंदोलन ने राष्ट्रवादी समूह को एक तरफ तो दूसरी तरफ उनका सामना प्रगतिशील और जनवादी विचाकर निरपेक्ष समूह बनाकर संयुक्त कर रहे थे।  मजदूर तथा श्रमिक सघों में भी ऐसी ही वैचारिक विभाजन की  स्थिति थी।  अध्यात्मिकवादी होने के कारण हमारी निकटता राष्ट्रवादियों से ज्यादा रही है। समय पर काम भी यही आते रहे  सो उनसे लगाव रहा है जो अब भी है।  उसी समय  चुनाव भी चल रहे थे तब निरपेक्ष समूह ने एक दल के बड़े नेता को अपने यहां सभा करने बुलाया था।  उन नेता के आने से पहले ही हमारे एक राष्ट्रवादी मित्र ने वहां ‘जयश्रीराम’ का नारा लगा दिया।  वह राष्ट्रवादी मित्र वैसे सम्मानीय थे पर वहां निरपेक्ष समूह के ही उनके स्वाजातीय साथी ने सभी में खलल डालने का आरोप लगाकर उन पर हमला कर दिया।
             नेताजी की सभा तो हो गयी पर उसके बाद कार्यालय में इस विवाद की चर्चा खूब रही।  तब हमें पता लगा कि ‘जयश्रीराम’ का नारा अब केवल राष्ट्रवादियों  के लिये पंजीकृत हो गया है।  इसलिये कहीं अगर किसी का अभिवादन करते समय ‘जय राम जी’ की या ‘जयसियाराम’ कहते थे। हमारे अनेक मित्र सेवानिवृत हो गये हैं। उनके से अनेक फेसबुक पर हमारे साथी बने हैं।  इनमें से अधिकतर राष्ट्रवादी विचाराधारा के हैं इसलिये उन्हें तब अपने साथी से सहानुभूति हुई थी।  अगर वह इस पाठ को पढ़ें तो अनुभव करें कि कल लखनऊ की रामलीला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘जयश्रीराम’ का नारा लगाया तब निरपेक्ष समूह के हृदय पर छुरियां जैसी चल रही होंगी।  वैसे ही जैसे हमारे कार्यालय में आज से उस समय चली थी जब विवाद हुआ था।
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प्रधानमंत्री ने पहले भाषण में टेबल ठोकते हुए कहा था कि ‘हमारे देश के जवानों की कुर्बानी बेकार नहीं जायेगी।’
उन्होंने उसी भाषण में कहा था कि पाकिस्तान मुकाबला करना चाहता है तो गरीबी और बेकारी हटाने मेें करे।
दूसरी बात का सभी ने मजाक उड़ाया पर पहली पर कोई नहीं बोला। दो दिन बाद ही जब पहली बात का नतीजा सामने आया तो सारा विश्व स्तब्ध रह गया।

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Sunday, September 25, 2016

देवताओं जैसे सुंदर वस्त्र पहने हैं, असुरों की माया के क्या कहने हैं-दीपकबापूवाणी (Devtaon Jaise Vastra pahane hain-DeepakBapuwani


महल में आकर आदमी फूल जाता, छोटे मकान का दर्द भूल जाता।
‘दीपकबापू’ न करें कभी शिकायत,  माया मद मे हर दिल झूल जाता।।
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अहंकारी को नम्रता क्या सिखायें, जड़ को कौनसा मार्ग दिखायें।
‘दीपकबापू’ स्वार्थ के कूंऐं में गिरे, नाम अपना परमार्थी लिखायें।।
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परायी पीड़ा के घाव सामने लाते, अपने ही दिल का दुुुुुुःख बताते।
‘दीपकबापू’ नहीं झांकते घर से बाहर, वाणी विलास में सुख जताते।।
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देवताओं जैसे सुंदर वस्त्र पहने हैं, असुरों की माया के क्या कहने हैं।
‘दीपकबापू’ किस किससे लड़ते रहें, मान लो भाग्य में दर्द भी सहने हैं।
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समझें नहीं इशारों में कही बात, अहंकार से करें स्वयं पर घात।
‘दीपकबापू’ नासमझों की यारी करते, चैन न पायें दिन हो या रात।।
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उनके लिये धूप में चले पर उन्होंने धन्यवाद नहीं दिया।
निहारतेे उनकी राह जिसका रुख उन्होंने फिर नहीं किया।।
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कितना अजीब है दिल कुछ सोचता जुबान कुछ और बोलती है।
कितने छिपायेगा कोई अपने राज आंखें भी नीयत खोलती हैं।
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चिंतायें बेचते महंगे दाम-हिन्दी कविता
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सोचते सभी
मगर कर नहीं पाते
भलाई का काम।

कहते सभी निंदा स्तुति
मगर कर नहीं पाते
बढ़ाई का काम।

कहे दीपकबापू चिंत्तन से
जी चुराते मिल जाते 
हर जगह लोग
चिंतायें बेचते महंगे दाम
करते लड़ाई का काम।
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Thursday, September 22, 2016

पाकिस्तान के साथ रणनीतिक संघर्ष लंबा समय चलेगा- हिन्दीसंपादकीय (India-Pakistan war will longtime-Hindi Editoirial)

पिछले दिनो हमने यह समाचार देखा था कि भारतीय सेना ने सीमा पार कर आतंकवादी मारे। अभी एक फेसबुक पर भी पढ़ा कि दो दिन में भारतीय सेना दो बार सीमा पारकर आतंकवादियों को मारकर चली आयी। यह एक नयी रणनीति लगती है। मारो और भाग लो। पाकिस्तानी सेना को यह लगता है कि भारतीय सेना सीमा पार कर जब आगे आयेगी तब सोचेंगे। अगर समाचारों पर भरोसा करें तो यह एक ऐसी रणनीति है जो पाकिस्तान को संकट में डाल सकती है। इस समय पाकिस्तान की सेना बलोचिस्तान और अफगान सीमा पर डटी है। अगर भारतीय सेना के इस अस्थायी प्रवास को रोकना है तो उसे आना होगा। वहां से सेना हटी नहीं कि पाकिस्तान में भारी अंदरूनी संकट शुरू हो जायेगा। पाकिस्तानी रेंजर हमारी बीएसएफ की तरह ही है जो आंतरिक सुरक्षा के लिये तैनात रहते हैं। फेसबुक पर ही एक समाचार पढ़ा कि राजस्थान की सीमा पर टैंक आदि रेल में चढ़ाकर भेजे जा रहे हैें। हैरानी इस बात यह है कि प्रकाशन माध्यमों में यह बातें आयी हैं जबकि टीवी चैनलों से यह समाचार नदारद है। संभव है कि दोनों तरफ की सरकारें अब किसी उत्तेजना से बचने के लिये ऐसे आक्रामक समाचारों से बच रही हों। इधर यह भी समाचार आया कि सीमा पर की जानकारी उच्च स्तर पर ली जा रही है।
इसके बावजूद बड़े युद्ध की संभावना अभी नहीं है। भारतीय सेना मारकाट कर लौट आयेगी तो वह बड़े हमले का विषय नहीं होगा। उल्टे पाकिस्तान अब यह शिकायत करता फिरेगा कि भारतीय सेना अब सीमा पार करने लगी है-भारत भी चीन की सकता है कि सीमांकन अभी नहीं हुआ है इसलिये भूल से सैनिक चले जाते हैं। समझौते में भारत शर्त भी रख सकता है कि भारतीय सेना पाक सीमा में घुसकर नहीं मारेगी अगर पाकिस्तान आतंकवाद बंद कर दे-पहले आतंकवाद रोकने के बदले देने को कुछ नहीं था पर अगर इस तरह भारतीय सेना करती रही तो कुछ तो देने के लिये मिल ही जायेगा। अभी इसी तरह हवाई वह मिसाइल हमले भी हो सकते हैं। पाकिस्तान फंस चुका हैं। अफगानिस्तान तथा ईरान उसके दुश्मन हो गये हैं। अमेरिका नाराज है। पाकिस्तान तो भारत का शिकार है और वही उसे करना होगा-पाकिस्तान के दुश्मन भी यही मान चुके हैं। मगर यह अभियान एक दो महीने नहीं बल्कि एक दो वर्ष तक चल सकता है। पाकिस्तान के परमाणु हमले तथा बड़े युद्ध की हानि से बचने के लिये एक कुशल रणनीति की आवश्यकता होती है जिसमें भारतीय रणनीतिकार पाकिस्तानियों से कहीं बेहतर साबित हुए हैं।
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Friday, September 9, 2016

कॉमेडी किंग का भ्रष्टाचार विरोधी प्रपंच-लघुव्यंग्य (Anit Corruption Case of Comedy King-ShortSatireArticle)


कामेडी किंग यह क्या भ्रष्टाचार पर कॉमेडी कर बैठे? अपने क्रिकेटर बॉस के कदमों का अनुसरण करने की जल्दी में भ्रष्टाचार का ऐसा प्रसंग उठा लिया जिसमें स्वयं पर ही छींटे गिर सकते हैं। प्रथम दृष्टया टीवी पर उनका मकान देखकर ही लगता है कि कहीं न कहीं आवासीय कॉलोनी में खुली जगह पर निर्माण करने की वह प्रवृत्ति दिखाई देती हे जो देश में आम है। देश में अधिकतर आवासीय योजनाओं में बाहर खुली जगह रखने का नियम होता है पर कहीं जानबूझकर उसे तोड़ते हैं तो कहीं ठेकेदार अपना हिसाब बढ़ाने के लिये उन्हें प्रेरित करते हैं। कॉमेडी किंग को यकीनन यह अंदाज नहीं रहा होगा कि उनके निर्माण में कहीं नियमों का विध्वंस भी शामिल हो सकता है। गरीबी से संघर्ष कर अमीर धरा पर कदम रखा है जहां नियमों पर चलना मूर्खता और तोड़ना समझदारी माना जाता है। पहले टीवी पर उनका यह बयान कि उनसे पैसे मांगे गये। फिर आया कि पैसे दिये फिर भी निर्माण तोड़ा गया। यह विरोधाभास भी उनके लिये समस्या खड़ी करेगा। सुबह हमें भी उनसे सहानुभूति पैदा हुई थी पर शाम होते होते समझ आ गया कि मामल इतना संगीन बनाना कॉमेडी किंग के लिये बड़ी चुनौती बनने वाला है। आगामी पंजाब विधानसभा चुनाव में उन्हें प्रचार में सजावट के लिये जाना है।
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दीपक भारतदीप

Wednesday, August 10, 2016

हमदर्दी मांगना नहीं-हिन्दी कविता (Hamdardi Mangna nahin-Hindi Kavita)

दिल की बात
हम छिपायें
यह ख्याल आता है।

सुनायें चौराहे पर दर्द
ज़माना हंसता
 हर कोई 
 मजाक का जाल लाता है।

कहें दीपकबापू जज़्बात से
जिंदगी जीना जरूर
देना हमदर्दी मांगना नहीं
दरियादिली हर कोई
अंदर नहीं पाल पाता है।
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Thursday, July 21, 2016

सत्य साधना-हिन्दी कविता (Satya Sadhna-HindiPoem)


जहां अपनी याद रखनी हो
वहां से चले जाना जरूरी है।
अपना दिल बचाने के लिये
स्मृतियों से बिछोह जरूरी है।
कहें दीपकबापू सपनों का बोझ
ढोते ढोते जिंदगी बर्बाद करने से
बचने के लिये
सत्य साधना जरूरी है।
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Tuesday, July 12, 2016

फकीर अमीर और वजीर-हिन्दी व्यंग्य कविता(Faqir Amir aur vazir-HindiSatirePoem)

मुफ्त का माल मिले
भले चंगे लोग
फकीर बन जाते हैं।

जहां पाखंड की पूजा हो
खाली जेब वाले भी
अमीर बन जाते हैं।

कहें दीपकबापू काबलियत से
नाता नहीं होता जिनका
टेढ़ा चलते हुए पैदल भी
वज़ीर बन जाते हैं।
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Thursday, June 23, 2016

दरियादिल संख्या में चंद हैं-हिन्दी व्यंग्य कविता(Dariyadil Sankhya mein chand hain-HindiSatirepoem)

उनके घर क्या जायें
जहां दिल के
दरवाजे बंद हैं।

क्या आशा करें उनसे
जो मतलबपरस्ती के
हमेशा पाबंद हैं।

कहें दीपकबापू फिर भी
निराशा नहीं होती
कभी इस जहान के रवैये से
जहां दरियादिल बसते
चाहे संख्या में चंद हैं।
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Monday, June 13, 2016

शीतलता की तस्वीर-हिन्दी व्यंग्य कविता (Sheetalta ki Tasweer-Hindi Satire Poem)


विद्युत से चलते सामान
इंसानों के दिल की
धड़कन बढ़ा रहे हैं।

संवाद से सहजता का
भाव मिलने की बजाय
असहजता चढ़ा रहे हैं।

कहें दीपकबापू दिल में
अतिक्रमण कर लिया आग ने
मस्तिष्क में शीतलता की
तस्वीर जबरन लगा रहे है।
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Wednesday, June 1, 2016

खुशी कहीं दाम से नहीं मिलती-दीपकबापूवाणी (Khushi kahin dam se nahin miltee-DeepakBapuWani)

सभी इंसान स्वभाव से चिकने हैं, स्वार्थ के मोल हर जगह बिकने हैं।
‘दीपकबापू‘ फल के लिये जुआ खेलें, सत्संग में कहां पांव टिकने हैं।।
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सामानों के दाम ऊंचाई पर डटे हैं, समाज में रिश्तों के दाम घटे हैं।
‘दीपकबापू’ राख से सजाते चेहरा, अकेलेपन से दिल सभी के फटे हैं।।
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खुशी कहीं दाम से नहीं मिलती, सोचने से कभी तकदीर नहीं हिलती।
‘दीपकबापू’ दिल लगाया लोहे में, जहां संवेदना की कली नहीं खिलती।
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इंसानों ने जिंदगी सस्ती बना ली, ऋण का घृत पीकर मस्ती मना ली।
‘दीपकबापू’ ब्याज भूत लगाया पीछे, छिपने के लिये अंधेरी बस्ती बना ली।।
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संवेदनाओं को लालच के विषधर डसे हैं, दिमाग में जहरीले सपने बसे हैं।
‘दीपकबापू’ हंस रहे पराये दर्द पर, सभी इंसान अपने ही जंजाल में फसे हैं।।
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किसी की छवि खराब करना जरूरी है, प्रचार युद्ध में सभी की यही मजबूरी है।
‘दीपकबापू’ अपने पराये में भेद न करें, कचड़ा शब्द फैंकने की तैयारी पूरी है।।
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कागज के शेर रंगीन पर्दे पर छाये हैं, काले इरादे से सफेद चेहरा लाये हैं।
‘दीपकबापू’ शोर से आंख कान लाचार, रोशनी के सौदे में अंधेरा सजाये हैं।
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पीपल की जगह पत्थर के वृ़क्ष खड़े हैं, विकास के प्रतीक की तरह अड़े हैं।
‘दीपकबापू’ किताब पढ़ प्यास बुझाते, जलाशय उसमें चित्र की तरह जड़े हैं।।
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कुचली जाती हर दिन धूल पांव तले, सिर पर करे सवारी जब आंधी चले।
‘दीपकबापू’ ज्ञानी मत्था टेकते धरा पर, गिरें कभी तो दिल में दर्द न पले।।
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बेचैन दिल बाहर भी न रम पाये, घर की याद हर जगह जम जाये।
‘दीपकबापू’ पैसे से पा रहे मनोरंजन, हिसाब लगाकर फिर गम पाये।।
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समाज कल्याण के लिये सक्रिय दिखते, विरासत परिवार के नाम लिखते।
‘दीपकबापू’ मानव उद्धार के बने विक्रेता, पाखंड से ही बाज़ार में टिकते।।
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स्वाद लोभी अन्न का पचना न जाने, रंग देखते चक्षु अंदर का इष्ट न माने।
‘दीपकबापू’ बाज़ार की रोशनी में अंधे, उजाले के पीछे छिपा अंधेरा न जाने।।
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ढोंगी भ्रम का मार्ग बता नर्क में डालें, फिर स्वर्ग का ख्वाब दिखाकर टालें।
‘दीपकबापू’ ओम का जाप नित करें, घर में ही बाहरी सुख का मंत्र पालें।।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak  'Bharatdeep',Gwalior
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Tuesday, May 17, 2016

भूले से रहते हैं-हिन्दी कविता(Bhoole se Rahate hain-Hindi Poem)

आकाश में उड़ने वाले
जमीन का दर्द
भूले से रहते हैं।

चौपाये पर सवार
सर्दी गर्मी का दर्द
भूले से रहते हैं।

कहें दीपकबापू मौसम से
कभी मित्रता कभी शत्रुता
जमीन पर निभाते श्रमजीवी
जो पसीने से नहाते अपना दर्द
भूले से रहते हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
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कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
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Tuesday, May 3, 2016

हताश कंकाल-हिन्दी कविता(Hatash Kankal-Hindi Poem)

हांडमांस के बुत
बरसों से आंखों के
सामने खड़े हैं।

कोई पैमाना नहीं
नाप सकें बुद्धि का कद
दावे तो सभी करते
उनके दिल बड़े हैं।

कहें दीपकबापू पर्यावरण में
हवाओं के साथ 
आग की जंग चल रही है
दग्ध हो चुकी संवेदनायें
हताश कंकाल सोच में खड़े हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
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Thursday, April 28, 2016

गुलामी का ज़हर-हिन्दी कविता(Gulami Ka Zahar-Hindi Kavita)


अपने अपने दर्द के
बयान में सब लोग
शब्द बोल रहे हैं।

हमदर्दी के सौदागर भी
रुपयों के अनुसार
शब्द तोल रहे हैं।

कहें दीपकबापू भावना में
बहना मना है
इश्क की आड़ में
लोग गुलामी का
जहर घोल रहे हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
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Saturday, April 16, 2016

पसीने से बीमारी हारी है-हिन्दी कविता(Pasine se Bimari hari hai-HindiPoem)

गर्मी की तपती दोपहर
सड़क पर सन्नाटे में
जीवन की जंग जारी है।

ठेला ढकेलते 
पसीने में नहाये लोगों की
बेबसी से यारी है।

कहें दीपकबापू परिश्रम से
मुंह चुराने वालों को
वातानुकूलित  कक्ष में भी
नहीं छोड़ती ज्वाला
मगर बहते पसीने से
हर बीमारी हारी है।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poem-Deepak Raj Kukreja ""Bharatdeep""
Gwalior, madhyapradesh
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
poet, Editor and writer-Deepak  'Bharatdeep',Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com
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Wednesday, April 6, 2016

जो भीड़ पायेगी-हिन्दी कविता (Public Ane A Men-Hindi Poem)


अच्छा हो गया बुरा
जहां नाटक सजेगा
भीड़ भी आयेगी।

अदाओं का मतलब
समझे या नहीं
वाह शब्द भीड़ भी गायेगी।

कहें दीपकबापू अक्ल से
इंसानों का वास्ता होता है
इस्तेमाल कौन करता
चलते सभी मिलकर
सोचते हम भी वही पायेंगे
जो भीड़ भी पायेगी।
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Friday, March 18, 2016

सामने यार बन जाते हैं-हिन्दी कविता (Samne yaar ban jate hain-Hindi Kavita)

दिल में भरी नफरत
अपनी जुबान से
वह प्यार भी जताते हैं।

पीठ पीछे करते
जमकर दुष्प्रचार
सामने यार भी बन जाते हैं।

कहें दीपकबापू हिसाब से
कभी चले नहीं
जहां मतलब निकले
रिश्ता बनाते वहीं
सिंहासन चढ़ने के लिये
अपनी डोली के
वही कहार भी बन जाते हैं।
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Thursday, March 10, 2016

नायक खलनायक-हिन्दी कविता(Nayak Khalnayak-HindiKavita, Hero Wilen-HindiPoem)

रुपहले पर्दे पर
इधर नायक उधर खलनायक
खड़ा कर दिया।

चंद पल का नाटक
शब्द के जाल बुनकर
बड़ा कर दिया।

कहें दीपकबापू प्रचार पर
चल रहा संसार
विज्ञापन के मजे ने
बढ़ा दी मन की भूख
रोटी को कड़ा कर दिया।
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Monday, February 29, 2016

मोहब्बत का सौदा-हिन्दी शायरी(Mohbbat ka Suada-Hindi Shayri)


खुशी हो या गम
दावत का बहाना
बन जाते हैं।

ज़ज्बात मृत हों या जिंदा
सौदे का बहाना
बन जाते हैं।

कहें दीपकबापू लाचार दिल से
मोहब्बत का सौदा करते लोग
कमाने का मौका मिले
नफरत फैलाने के भी
तब हजार बहाने
बन जाते हैं।
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Thursday, February 18, 2016

दर्द की खबर-हिन्दी कविता (Dard Ki Khabar-Hindi Kavita)

घर से निकलते
गरीबों को अमीर बनाने
चंदा समेटने लग जाते।

हमदर्दी के सौदागर
दर्द की खबर सुनते ही
जग जाते हैं।

कहें दीपकबापू पांखडियों से
बचकर रहना यारो
मतलबपरस्त चले
परोपकार करने
दोस्ती कर ठग जाते हैं।
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Wednesday, January 27, 2016

जुबान रही भाषा से लाचार-हिन्दी कविता (juban rahi Bhasha se lachar-Hindi Kavita)

समेट लिया सभी सामान
फिर भी दिल का चैन
नहीं पा सके।

सजा लिये हर तरह के
इतने पकवान कि
सब खा नहीं सके।

कहें दीपकबापू घूमते हुए
खूबसूरत स्थान देखे
जुबान रही भाषा से लाचार
मिली थी जो खुशी
ज़माने से जता नहीं सके।
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Thursday, January 14, 2016

आजादी-हिन्दी शायरी(Azadi-HindiShayri)

आजादी-हिन्दी शायरी(Azadi-HindiShayri)
अगर सिर झुकाना
सीखा होता
हम भी गुलाम शरीर
आजाद चेहरा लिये
जहान में पहचाने जाते।

दीपकबापू सीख लेते
आवाज बेचना
मिल जाती महंगी महफिल
मगर फिर नहीं
आजादी से गरियाते।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
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