पर सभी हमसफर नहीं होते
हमसफर हों बहुत
पर सभी हमदम दोस्त नहीं होते
जमाने भर में पहचान बन जाये
यह ख्वाहिश तो सभी की होती
पर अपने से सब अनजान होते
रास्ते का नाम नहीं पता
मंजिल की शक्ल का अंदाज नहीं
ऐसे भटकाव तो सभी की जिंदगी में होते
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दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका पर लिख गया यह पाठ मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसके कहीं अन्य प्रकाश की अनुमति नहीं है।
कवि एंव संपादक-दीपक भारतदीप
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